Risc and Cisc
कम्प्यूटर आर्किटेक्चर का एक महत्वपूर्ण पहलू है जिसमें प्रोसेसर के लिए instruction set का निर्माण होता है। Computer के निर्माण से लेकर अब तक कई तरह के परिवर्तन किए जा रहे हैं, जिसमें उसके processor, memory और आकार में बहुत से बदलाव हुए हैं।
शुरुआत में Computer बहुत बड़ा था लेकिन कार्य क्षमता बहुत ही कम थी। Computer में धीरे-धीरे बदलाव होते गए और complex instruction का उपयोग किया गया जिन्हें (CISC) Complex Instruction Set Computer कहा गया।
RISC और CISC दोनों “instruction set architecture” Computer के कार्य क्षमता को improve करते हैं।
cisc
इसका पूरा नाम Complex Instruction Set Computer होता है। Computer को powerful बनाने के लिए complex instruction का उपयोग किया जाता है।
Complex instruction set का उपयोग करने का एक कारण यह भी है कि कम्पायलेशन को सरल बनाना और कम्प्यूटर के performance को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
CISC आर्किटेक्चर का मुख्य कार्य हाई-लेवल भाषा में लिखे गए प्रत्येक स्टेटमेंट के लिए single machine instruction उपलब्ध कराना है। CISC आर्किटेक्चर के उदाहरण, Digital Equipment Corporation VAX और IBM 370 कम्प्यूटर हैं।

Risc
RISC, कम्प्यूटर के स्ट्रक्शन सेट को सरलीकृत करके execution time को न्यूनतम करने का प्रयास करती है।
1980 के दशक में, कई कम्प्यूटर Designers ने सरल बनावट और कम instruction वाले कम्प्यूटरों को प्रस्तावित किया था। उनके अनुसार, ऐसे कम्प्यूटर मेमोरी का ज्यादा उपयोग किए बिना CPU के भीतर ही तेजी से एक्जिक्यूट किए जा सकते हैं। इस प्रकार के कम्प्यूटर Reduce Instruction Set Computer या RISC के नाम से जाने जाते हैं।
Instruction की संख्या बढ़ाने तथा complex instruction का उपयोग करने से system की कार्य करने की क्षमता धीमी होती गई क्योंकि कम memory और processing वाले कंप्यूटर में कम समय में अधिक instruction को execute करना पड़ता था।
इसी समस्या को दूर करने के लिए RISC को लाया गया। RISC आर्किटेक्चर instruction set को सरल बनाता है और बहुत सारे रजिस्टर का उपयोग किया जाता है जिससे प्रोसेस और execute करने की गति कई गुना बढ़ जाती है।
