A Generic View Of Process In Hindi

A Generic view of process in hindi

Generic word जनरल से आया है, general मतलब किसी भी चीज़ का general level view अर्थात देखना। Generic view सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के अंतर्गत perspective डिफाइन किया गया है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में generic view of process अर्थात सॉफ्टवेयर बनाने की प्रक्रिया को जेनेरिक रूप से देखना।

प्रक्रिया (Process) क्या होता है?

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में प्रक्रिया (Process) का मतलब सॉफ्टवेयर बनाने, उसे विकसित करने और उसे बनाए रखने के लिए एक व्यवस्थित तरीके से की जाने वाली गतिविधियों से होता है।

सॉफ्टवेयर बनाने का एक step by step तरीका होता है। जिसमें तीन मुख्य चरण होते हैं। इसमें अलग-अलग phase define किया गया है। process का 3 generic view होता है
जिसे generic phase कहा जाता है।
यह प्रोजेक्ट के आकार type complexity के base मे तीन भागों मे बाँटा गया है:

  1. परिभाषा चरण (Definition Phase)
  2. विकास चरण (Development Phase)
  3. रखरखाव चरण (Maintenance Phase)

आइए इन चरणों को विस्तार से समझते हैं:

A Generic View Of Process in hindi

1. परिभाषा चरण (Definition Phase)

इस चरण में यह तय किया जाता है कि सॉफ्टवेयर क्या करेगा और इसे कैसे बनाया जाएगा। इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं:

  • आवश्यकताएँ एकत्र करना (Requirements Gathering): यह समझना कि उपयोगकर्ता को सॉफ्टवेयर से क्या चाहिए।
  • विश्लेषण (Analysis): इकट्ठा की गई जानकारी का विश्लेषण करना और समस्याओं को समझना।
  • डिज़ाइन (Design): सॉफ्टवेयर का ब्लूप्रिंट तैयार करना, यानी यह तय करना कि सॉफ्टवेयर कैसे काम करेगा।

इस phase में “क्या(what )” प्रश्न पर focus किया जाता है:

what to do क्या करना होगा?
what are the need क्या जरूरत है?
what are the behaviour व्यवहार क्या है?

इन प्रश्नों का उत्तर Requirement gathering, Analysis,Project planning और आवश्यकता का विश्लेषण करके प्राप्त किया जा सकता है।

उदाहरण: अगर एक software बनाना है, तो यह तय करना कि क्या software बनना है software में क्या फीचर्स होंगे, यूजर इंटरफेस कैसा होगा, और डेटा कैसे स्टोर होगा।

2. विकास चरण (Development Phase)

इस चरण में सॉफ्टवेयर को वास्तव में बनाया जाता है। इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं:

  • कोडिंग (Coding): डिज़ाइन के अनुसार प्रोग्राम लिखना।
  • परीक्षण (Testing): सॉफ्टवेयर को टेस्ट करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह सही तरीके से काम कर रहा है।
  • एकीकरण (Integration): अलग-अलग Modules को एक साथ जोड़ना और पूरे सिस्टम को चेक करना।

जब problem को understand कर लिया अब हमें उन जरुरतो को हल करना है

जब हमने यह पता लगा लिया कि हमें क्या चाहिए अब हमें यह जानना है कि हम उन चीजों को कैसे प्राप्त कर सकते हैं

  • इस phase मे “कैसे (how)” पर focus किया जाता है ।
  • सॉफ्टवेयर का बनावट कैसा होना चाहिए।
  • डाटा का बनावट कैसा होना चाहिए।
  • सॉफ्टवेयर का इंटरफेस कैसा दिखना चाहिए।
  • सॉफ्टवेयर का डिजाइन कैसा होना चाहिए।
  • how data to structured.
  • how function is to be implemented.

इन प्रश्नों का उत्तर कोडिंग सॉफ्टवेयर टेस्टिंग सॉफ्टवेयर डिजाइन से प्राप्त किया जा सकता है।

उदाहरण: सॉफ्टवेयर का कोड लिखना, उसे टेस्ट करना, और फिर उसे लॉन्च करने के लिए तैयार करना।

3. रखरखाव चरण (Maintenance Phase)

सॉफ्टवेयर लॉन्च होने के बाद इस चरण में उसे अपडेट और बनाए रखा जाता है।
इसमें निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल होती हैं:

  • त्रुटि सुधार (Bug Fixing): उपयोगकर्ताओं द्वारा रिपोर्ट की गई समस्याओं को ठीक करना।
  • अपग्रेड (Upgrades): नए फीचर्स जोड़ना या पुराने फीचर्स को बेहतर बनाना।
  • प्रदर्शन अनुकूलन (Performance Optimization): सॉफ्टवेयर को तेज और अधिक कुशल बनाना।

maintenance phase इस फेस में “Change” बदलाव जो गलतियों में सुधार पर focus किया जाता है।

Adaptation अनुकूलन सॉफ्टवेयर में समय-समय के अनुसार बदलाव की आवश्यकता होती है क्योंकि CPU, ऑपरेटिंग सिस्टम, और बिजनेस में नियम बदलते रहते हैं। सॉफ्टवेयर ऐसा होना चाहिए जो समय के साथ उसमें Change बदलाव किया जा सके।

Error Correction गलतियों में सुधार
Client सॉफ्टवेयर में Eror त्रुटि को बताया जाता है, उसके पश्चात उन Eror को दूर करके सॉफ्टवेयर का मेंटेनेंस किया जाता है।

Prevention maintenance  समय में बदलाव की वजह से सॉफ्टवेयर खराब हो जाता है तब इसे prevention maintenance की आवश्यकता होती है।  

उदाहरण: सॉफ्टवेयर में नए फीचर्स जोड़ना, उसे नए ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कंपैटिबल बनाना, या यूजर की शिकायतों के आधार पर बग्स ठीक करना।  

संक्षेप में  

1. परिभाषा चरण: यह तय करना कि सॉफ्टवेयर क्या करेगा।  

2. विकास चरण: सॉफ्टवेयर को बनाना और टेस्ट करना।  

3. रखरखाव चरण: सॉफ्टवेयर को अपडेट और बनाए रखना।  

यह प्रक्रिया सॉफ्टवेयर को व्यवस्थित और गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनाने में मदद करती है।

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