जंतु कोशिका – Animal Cell In Hindi

जंतु कोशिका (Animal Cell)

जानवरों और मनुष्यों के शरीर में पाई जाने वाली कोशिका को जंतु कोशिका (Animal Cell) कहते है यह एक यूकैरियोटिक (परमकोशिकीय) कोशिका है।

प्रत्येक जंतु कोशिका का डीएनए केंद्रक (न्यूक्लियस) नामक झिल्लीबद्ध अंगक में स्थित होता है और इसमें अनेक छोटे-छोटे कोशिकांग (ऑर्गेनेल्स) रहते हैं।

इन कोशिकांगों के संयोजन से ही कोशिका के सभी क्रियाकलाप नियंत्रित होते हैं। सरल शब्दों में, जंतु कोशिका जीव के शरीर की मूल इकाई है, और कोशिकाएं हमारे शरीर के भवन खंड मानी जाती हैं।

इन कोशिकाओं का आकार, रूप और कार्य कोशिका के प्रकार के अनुसार भिन्न हो सकता है, परंतु सभी में कुछ साझा संरचनाएँ होती हैं, जैसे कोशिका झिल्ली और साइटोप्लाज्म।

इस्तिहस – History

सन् 1665 में रॉबर्ट हुक ने पहले बार सूक्ष्मदर्शी की सहायता से पेड़ की लकड़ी की पतली परत में कोशिकाओं का अवलोकन किया और उन्हें ‘सेल’ (कोशिका) नाम दिया।

इसके कुछ वर्ष बाद थियोडोर श्वान और मैटियास श्राइडेन ने 1839 में कोशिका सिद्धांत प्रतिपादित किया, जिसमें कहा गया कि सभी जीव कोशिकाओं से बने होते हैं और कोशिका जीवन की मूल इकाई है।

सन् 1831 में रॉबर्ट ब्राउन ने जंतु व पादप कोशिकाओं के केंद्रक (न्यूक्लियस) की खोज की और इसे कोशिका का नियंत्रक केन्द्र माना। बाद में रूडोल्फ वीरचो ने 1855 में प्रतिपादन किया कि सभी कोशिकाएं पूर्व-मौज़ूद कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं।

इन खोजों के फलस्वरूप आज हम समझते हैं कि जंतु कोशिका और पादप कोशिका दोनों यूकैरियोटिक हैं, परंतु इनके कुछ मुख्य अंतर हैं।

प्रत्येक भेद को समझने में चित्र बहुत सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, जंतु एवं पादप कोशिका के एक साथ चित्र में विषमताओं का स्पष्ट अवलोकन किया जा सकता है।

जंतु कोशिका की संरचना

एक सामान्य जंतु कोशिका की बाहरी आवरण कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) होती है जो लिपिड द्विपर्त झिल्ली से बनी होती है।

Animal Cell In Hindi

यह झिल्ली कोशिका को बाहरी वातावरण से पृथक रखती है और अर्ध-पारगम्य होती है, यानी यह केवल चयनित पदार्थों को ही कोशिका के अन्दर आने-जानें देती है। कोशिका झिल्ली कोशिका को आकार भी देती है और आंतरिक द्रव्यों की रक्षा करती है।

कोशिका झिल्ली के भीतर का द्रव्यमान साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) कहलाता है, जो जेली-जैसा पदार्थ होता है। इसमें सभी कोशिकांग तैरते हुए पाए जाते हैं। साइटोप्लाज्म मुख्यतः पानी, जैविक व अजैविक यौगिकों से मिलकर बना होता है और कोशिका की सभी रासायनिक क्रियाएं यहीं होती हैं।

केन्द्रक (Nucleus)

केन्द्रक (Nucleus) कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यह दोहरी झिल्ली से घिरा होता है और कोशिका के अन्दर डीएनए (जेनेटिक सामग्री) का भंडारण करता है।

केन्द्रक कोशिका की नियामक इकाई की तरह कार्य करता है, जो कोशिका गतिविधियों (जैसे वृद्धि, विभाजन, प्रोटीन संश्लेषण) को नियंत्रित करता है। केन्द्रक के भीतरी भाग में न्यूक्लियोलस नामक गोलाकार संरचना होती है, जो राइबोसोम बनाने में मदद करती है।

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane and Cytoplasm)

कोशिका झिल्ली (Cell Membrane) जंतु कोशिका को बाहरी परिवेश से अलग रखती है और महत्वपूर्ण पोषक पदार्थों को अंदर आने और अवांछित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायक होती है।

यह कोशिका को आकार देता है तथा कोशिकांगों को सुरक्षित रखता है। कोशिका के भीतरी भाग में भरा हुआ द्रव्यमान साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) कहलाता है, जो एक जैल-जैसी बनावट वाला होता है।

साइटोप्लाज्म में अनेक प्रकार के कोशिकांग हैं और सभी केबीजी परिक्षेपित (साइटोस्केलेटन) के सहारे कोशिका की आकृति बनाए रखते हैं। साइटोप्लाज्म में होने वाली कई रासायनिक प्रतिक्रियाओं से कोशिका ऊर्जा प्राप्त करती है और आवश्यक कार्य करती है।

माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)

माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का “पावरहाउस” कहा जाता है क्योंकि यह कोशिका को ऊर्जा प्रदान करता है। यह दालचीनी के आकार के दोहरी झिल्ली वाले अंगक होते हैं।

इनकी आंतरिक झिल्ली में मोड़ (क्रिस्टा) होते हैं जो सतह क्षेत्र बढ़ाते हैं और प्रोटीन एंजाइमों से भरपूर होते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया में आयोजित होने वाली प्रक्रिया (आर्कीयस श्वसन) के दौरान ग्लूकोज जैसे पोषक पदार्थ टूटकर एटीपी (ATP) नामक ऊर्जा धारी अणु बनाते हैं।

इस प्रकार माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका में आवश्यक कार्य के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है।

एंडोप्लाज़्मिक रेटिकुलम (Endoplasmic Reticulum)

एंडोप्लाज़्मिक रेटिकुलम (ER) कोशिका की एक विस्तृत झिल्लीय नेटवर्क प्रणाली है जो कोशिका में पदार्थों को परिवहन करती है। यह दो प्रकार का होता है:

  • रफ एंडोप्लाज़्मिक रेटिकुलम (Rough ER): इस पर राइबोसोम जुड़े रहते हैं और यह प्रोटीन संश्लेषण में सक्रिय होता है।
  • स्मूथ एंडोप्लाज़्मिक रेटिकुलम (Smooth ER): इस पर राइबोसोम नहीं होते और यह लिपिड (वसायुक्त पदार्थ) का संश्लेषण व विषहरण (detoxification) करता है।

यह रेटिकुलर जालिका कोशिका के विभिन्न हिस्सों में बने पदार्थों (प्रोटीन, लिपिड) को आगे की प्रक्रिया के लिए भेजती है। उदाहरण के लिए, रफ ER में बने प्रोटीन को गोल्जी युक्ति (Golgi apparatus) को भेजकर संशोधन कराता है।

गोल्जी युक्ति (Golgi Apparatus)

गोल्जी युक्ति (Golgi Apparatus) (जिसे गोल्जी कॉम्प्लेक्स भी कहते हैं) सपाट, तहों में सजी झिल्ली की संरचनाओं का समूह है। यह कोशिका का पैकेजिंग सेंटर होता है। गोल्जी युक्ति आने वाले प्रोटीन व लिपिड में फेर-बदल (संशोधन) करके उन्हें छोटे-छोटे थैलों (वेसिकल) में पैक करती है और इन थैलों को कोशिका के अन्दर या बाहर लक्ष्यित स्थान पर भेज देती है। इससे कोशिका में बनाए गए पदार्थों का उचित वितरण होता है।

लाइसोसोम (Lysosomes)

लाइसोसोम (Lysosomes) छोटे गोलाकार थैले होते हैं, जिनमें पाचन एंजाइम (digestive enzymes) भरे होते हैं। इन्हें कोशिका का ‘अपशिष्ट निपटान केंद्र’ कहा जा सकता है।

लाइसोसोम कोशिका में अवशिष्ट पदार्थों, क्षतिग्रस्त अंगकों और बाहरी विषैले अणुओं को तोड़कर नष्ट कर देते हैं। इसी कारण इन्हें कभी-कभी “स्वहत्या थैला (suicidal bag)” भी कहा जाता है क्योंकि जब कोशिका को स्वयं नष्ट होना हो तो ये कोशिका को आत्म-नाशी एंजाइम मुक्त करके नष्ट कर सकते हैं।

राइबोसोम (Ribosomes)

राइबोसोम (Ribosomes) छोटे गोल कण (नॉन-मेम्ब्रेन अंगक) होते हैं जो प्रोटीन संश्लेषण के लिए जिम्मेदार हैं। ये साइटोप्लाज्म में स्वतंत्र तैरते हुए पाए जाते हैं या खुरदरी ER की सतह से जुड़े हो सकते हैं।

राइबोसोम पर सूक्ष्मदर्शी से यह स्पष्ट दिखाई देता है कि यह जगह है जहाँ RNA के अणुओं के निर्देशानुसार अमीनो अम्लों से प्रोटीन बनाए जाते हैं।

वैक्यूओल (Vacuole)

वैक्यूओल (Vacuole) झिल्लीयुक्त थैले होते हैं जिनमें जल, लवण और अपशिष्ट पदार्थ संग्रहीत होते हैं। जंतु कोशिकाओं में कई छोटे वैक्यूओल होते हैं जो आंशिक रूप से पाचन, अपशोषण और रासायनिक भंडारण कार्य करते हैं। पादप कोशिकाओं के विपरीत, जंतु कोशिकाओं में एक बड़ा केंद्रीय वैक्यूओल नहीं होता है।

सेंट्रोसोम (Centrosome)

सेंट्रोसोम (Centrosome) एक क्षेत्रोंयुक्त क्षेत्र है जिसमें दो सेंट्रियोल (Centrioles) जैसे अस्थिर अंगक होते हैं। ये विशेषकर कोशिका विभाजन के दौरान सक्रिय हो जाते हैं।

विभाजन के समय सेन्ट्रियोल स्पिंडल तंतु (spindle fibers) का निर्माण करते हैं, जिनसे क्रोमोसोम विभाजित हो जाते हैं। जंतु कोशिकाओं में सेन्ट्रियोल होने के कारण विभाजन प्रक्रिया सुगम होती है।

पशु और पादप कोशिकाओं के बीच प्रमुख अंतर

  • कोशिका भित्ति (Cell Wall): जंतु कोशिकाओं में कोशिका भित्ति नहीं होती, जबकि पादप कोशिका के बाहरी स्तर में एक दृढ़ कोशिका भित्ति पायी जाती है। कोशिका भित्ति सेल को कठोरता व संरचनात्मक समर्थन देती है, इसलिए पौधे सीधे खड़े रह पाते हैं।
  • हरितलवक (Chloroplast): जंतु कोशिका में हरितलवक (क्लोरोप्लास्ट) नामक अंगक नहीं होता। पादप कोशिकाओं में प्रकाश संश्लेषण के लिए हरितलवक होते हैं जिसमें क्लोरोफिल नामक हरा वर्णक होता है।
  • वैरिकृत (Vacuole): जंतु कोशिकाओं में कई छोटे वैक्यूओल होते हैं जो जल व रासायनिक भंडारण का कार्य करते हैं। इसके विपरीत, पादप कोशिकाओं में एक बड़ा केंद्रक वैक्यूओल (Central Vacuole) होता है जो तानव (टर्जर दबाव) बनाए रखता है।
  • लाइसोसोम (Lysosome): जंतु कोशिकाओं में लाइसोसोम पाए जाते हैं, जिनमें पाचन एंजाइम होते हैं जो कोशिका के अपशिष्ट और क्षतिग्रस्त अंगकों को तोड़ते हैं। पादप कोशिकाओं में लाइसोसोम सामान्यतः नहीं होते, क्योंकि पौधों की कोशिका भित्ति बाहरी अपशिष्ट पदार्थों को रोक देती है।
  • सेन्ट्रीयोल (Centrioles): जंतु कोशिकाओं में सेन्ट्रोसॉम में दो सेन्ट्रीयोल पाए जाते हैं, जो कोशिका विभाजन के दौरान स्पिंडल रेशों के निर्माण में सहायक होते हैं। अधिकांश पादप कोशिकाओं में सेन्ट्रीयोल नहीं होते।
  • रंग (Shape): आमतौर पर पादप कोशिकाएं ज्यामितीय (आयताकार) आकार की होती हैं, जबकि जंतु कोशिकाएं अनियमित व गोलाकार हो सकती हैं। जंतु कोशिकाओं के चलने-फिरने के कारण पादप कोशिकाओं जैसा कठोर आकार नहीं होता।

महत्व (Importance of Animal Cells in Body and Biology)

कोशिकाएं मानव शरीर और अन्य जीवों की आधारभूत इकाइयाँ हैं। औसत मानव शरीर में लगभग 30 से 40 खरब कोशिकाएं होती हैं, और प्रत्येक कोशिका का अपना विशेष कार्य होता है।

उदाहरण के लिए, लाल रक्त कोशिकाएं ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करती हैं, तंत्रिका कोशिकाएं दिमाग़ से संदेश भेजने का काम करती हैं, और मांसपेशी कोशिकाएं संकुचन कर शरीर को गति प्रदान करती हैं।

इन सभी कोशिकाओं में जंतु कोशिकाएं होती हैं, जो मिलकर ऊतक (टिशू) और अंग बनाती हैं। इस प्रकार, जंतु कोशिका मानव जीवन की सभी शारीरिक क्रियाओं की बुनियाद है।

जंतु कोशिकाओं के अध्ययन से हम जानवरों के शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली को समझ पाते हैं। उदाहरण के लिए, कैंसर जैसी बीमारियों में कोशिकाओं का अनियंत्रित विभाजन होता है, जिसे समझने के लिए कोशिका विज्ञान का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।

इसी प्रकार, अनुसंधान प्रयोगशालाओं में सेल्युलर तकनीकों (उदाहरणार्थ सेल कल्चर) का उपयोग नई दवाओं के विकास और आनुवंशिक अनुसंधान में किया जाता है। संक्षेप में, जंतु कोशिकाएं जीवविज्ञान की मूल आधारशिला हैं और इन्हीं पर अध्ययन करके हमें शरीर की जटिल कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

पादप कोशिका – Padap Koshika in Hindi

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