Multiplexing in Hindi – मल्टीप्लेक्सिंग क्या है?

मल्टीप्लेक्सिंग (Multiplexing) क्या है?

Multiplexing in Hindi – मल्टीप्लेक्सिंग क्या है?

मल्टीप्लेक्सिंग (Multiplexing) एक तकनीक है जिसका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्किंग और दूरसंचार में किया जाता है। इसकी मदद से हम एक ही कम्युनिकेशन चैनल पर कई डेटा सिग्नल्स को एक साथ ट्रांसमिट कर सकते हैं।

आसान शब्दों में कहें तो मल्टीप्लेक्सिंग एक ऐसा तरीका है जिससे हम कई सूचनाओं को एक लाइन के माध्यम से भेज सकते हैं, जिससे संसाधनों की बचत होती है।

आज के समय में, जब डेटा ट्रैफिक तेजी से बढ़ रहा है, मल्टीप्लेक्सिंग का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। यह तकनीक मोबाइल नेटवर्क, इंटरनेट, केबल टीवी और रेडियो ब्रॉडकास्टिंग जैसे क्षेत्रों में बेहद उपयोगी है।

Multiplexing in Hindi

मल्टीप्लेक्सिंग कैसे काम करता है?

मल्टीप्लेक्सिंग की प्रक्रिया में एक मल्टीप्लेक्सर शामिल होता है, जो विभिन्न Sources से प्राप्त इनपुट डेटा को एक संयुक्त सिग्नल में बदलता है। यह Compounded Signals एक निश्चित चैनल के जरिए भेजा जाता है।

Receiver side पर, डीमल्टीप्लेक्सर इस सिग्नल को पुनः विभाजित करता है, ताकि हर Receiver को अपना संबंधित डेटा प्राप्त हो सके।

उदाहरण: मान लीजिए आपके पास चार अलग-अलग मोबाइल हैं और एक ही नेटवर्क लाइन है। मल्टीप्लेक्सिंग की मदद से सभी चार मोबाइलों का डेटा एक लाइन से भेजा जा सकता है, जिससे नेटवर्क की दक्षता बढ़ती है।

Types of Multiplexing

Multiplexing in Hindi

1. Time Division Multiplexing (TDM)

Time Division Multiplexing एक ऐसी तकनीक है जिसमें कई डेटा सिग्नल्स को एक ही ट्रांसमिशन लाइन से अलग-अलग Time Slots में ट्रांसमिट किया जाता है।

अर्थात, जब भी एक ही चैनल से एक से ज्यादा devices को डेटा भेजना होता है, तो Time Division Multiplexing उन्हें टाइम के हिसाब से slote अलॉट करता है, जिससे सभी devices एक-एक करके डेटा भेज सकें।

इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से डिजिटल नेटवर्किंग और टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में होता है जहां बैंडविड्थ सीमित होती है और उसे स्मार्ट तरीके से शेयर करना होता है।

TDM कैसे काम करता है?

Time Division Multiplexing में एक ट्रांसमिशन चैनल को छोटे-छोटे Time Slots में बांट दिया जाता है। प्रत्येक source को एक निश्चित Time Slots अलॉट किया जाता है। प्रत्येक source अपने slote में ही data share कर सकता है, जिससे टकराव (collision) नहीं होता है।

Types of TDM

I. Synchronous Time Division Multiplexing

  • हर स्रोत को एक निर्धारित टाइम स्लॉट दिया जाता है
  • यदि कोई source खाली है, तो उसका स्लॉट व्यर्थ जाता है
  • यह सिस्टम सरल होता है लेकिन संसाधनों की बर्बादी हो सकती है

II. Asynchronous Time Division Multiplexing (Statistical TDM)

  • टाइम स्लॉट्स को जरूरत के हिसाब से डायनामिक तरीके से अलॉट किया जाता है
  • बर्बादी कम होती है क्योंकि खाली स्लॉट्स को अन्य उपयोगकर्ताओं को दिया जा सकता है
  • यह प्रणाली अधिक जटिल लेकिन अधिक कुशल होती है

TDM का उदाहरण

मान लीजिए तीन यूज़र्स A, B और C को एक ही नेटवर्क लाइन से कनेक्ट करना है। TDM में लाइन को तीन हिस्सों में बाँट दिया जाएगा:

  • टाइम स्लॉट 1: यूज़र A
  • टाइम स्लॉट 2: यूज़र B
  • टाइम स्लॉट 3: यूज़र C

हर यूज़र अपने स्लॉट में ही डेटा भेजेगा, जिससे टकराव नहीं होगा और लाइन की दक्षता बनी रहेगी।

TDM के लाभ (Advantages)

  • ट्रांसमिशन में टकराव नहीं होता
  • हर स्रोत को सुनिश्चित डेटा भेजने का मौका
  • डेटा संचार में नियमितता

TDM की सीमाएं (Disadvantages)

  • सिंकिंग (Synchronization) की जरूरत होती है
  • स्रोत के निष्क्रिय होने पर स्लॉट व्यर्थ जाता है (Synchronous TDM में)
  • सिस्टम की जटिलता बढ़ सकती है (Asynchronous TDM में)

2. Frequency Division Multiplexing (FDM)

Frequency Division Multiplexing (FDM) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ही Transmission Channel को अनेक (multi) frequencies में विभाजित किया जाता है।

इसका उद्देश्य यह है की एक ही समय में Multi signals को एक चैनल पर ट्रांसमिट करना होता है, लेकिन प्रत्येक सिग्नल को एक अलग Frequency Band में भेजा जाता है।

इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से एनालॉग सिग्नल ट्रांसमिशन में होता है, जैसे रेडियो, केबल टीवी और टेलीफोन नेटवर्क्स। Frequency Division Multiplexing का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह समानांतर डेटा ट्रांसफर को संभव बनाता है।

FDM कैसे काम करता है?

FDM में उपलब्ध चैनल को अलग-अलग Frequency Bands में विभाजित किया जाता है। हर यूज़र या डिवाइस को एक अलग बैंड मिलता है, जिससे वह उसी बैंड में डेटा ट्रांसफर करता है। सभी सिग्नल्स को एक साथ संयोजित करके एक ही चैनल में भेजा जाता है।

Steps:

रिसीवर पर Demodulation द्वारा उन्हें अलग-अलग किया जाता है

प्रत्येक इनपुट सिग्नल को अलग Frequency Bands अलॉट होता है

Modulation के जरिए सिग्नल्स को ट्रांसलेट किया जाता है

सभी modulated सिग्नल्स को मिलाकर ट्रांसमिट किया जाता है

  • हर डेटा सिग्नल को एक अलग Frequency पर ट्रांसमिट किया जाता है।
  • यह तकनीक रेडियो और टीवी ब्रॉडकास्टिंग में अधिक उपयोग होती है।

Frequency Division Multiplexing के लाभ

  • सभी यूज़र्स एक साथ डेटा भेज सकते हैं
  • हर सिग्नल का Frequency Band स्थायी होता है
  • यह तकनीक कम सिंक्रोनाइज़ेशन की मांग करती है
  • एनालॉग सिस्टम्स में उपयोग के लिए उपयुक्त

Frequency Division Multiplexing की सीमाएं

  • प्रत्येक चैनल के बीच guard band की जरुरत होती है जिससे Waste of bandwidth होती है।
  • उच्च गुणवत्ता वाले फिल्टरिंग और मोड्यूलेशन की जरूरत होती है।
  • यदि एक चैनल फेल हो जाए तो उसका Frequency Band व्यर्थ हो जाता है।
  • FDM डिजिटल सिग्नल्स के लिए उपयुक्त नहीं है।

3. Code Division Multiplexing (CDM)

कोड डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग (CDM) एक ऐसी तकनीक है जिससे multi user एक ही समय में, एक ही चैनल पर अपने डेटा को भेज सकते हैं।

इस प्रक्रिया में हर यूज़र को एक विशेष Code Allocated किया जाता है, जो उनकी डेटा को पहचानने और अलग करने में मदद करता है। इसे सामान्यतः कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस (CDMA) के रूप में भी जाना जाता है।

CDM की खास बात यह है कि इसमें न समय का विभाजन होता है (जैसे TDM में) और न ही फ्रीक्वेंसी का (जैसे FDM में), बल्कि कोडिंग तकनीक का उपयोग करके कई सिग्नल्स को एक साथ ट्रांसमिट किया जाता है।

CDM कैसे काम करता है?

CDM में प्रत्येक यूज़र को एक यूनिक spreading code दिया जाता है। जब यूज़र डेटा भेजता है, तो यह डेटा उस यूनिक कोड के साथ मल्टिप्लाई हो जाता है।

ट्रांसमिशन चैनल पर सभी यूज़र्स के कोडेड सिग्नल्स एक साथ होते हैं, लेकिन रिसीवर अपने कोड का उपयोग करके केवल संबंधित सिग्नल को पहचान और पुनः प्राप्त कर सकता है।

उदाहरण:

  • यूज़र A कोड A से ट्रांसमिट करता है
  • यूज़र B कोड B से ट्रांसमिट करता है
  • दोनों के सिग्नल्स एक साथ जाते हैं
  • रिसीवर कोड A से केवल यूज़र A का डेटा निकाल सकता है

CDM का सिद्धांत (Principle)

  • हर यूज़र को एक अद्वितीय orthogonal code असाइन किया जाता है
  • सभी यूज़र्स एक ही समय पर और एक ही चैनल से डेटा भेज सकते हैं
  • रिसीवर केवल उसी कोड का डेटा निकाल सकता है जिससे वह सिंक्रनाइज़ है
  • डेटा सुरक्षित और बिना टकराव (interference) के ट्रांसमिट होता है

CDM के उदाहरण

  • CDMA मोबाइल नेटवर्क
  • GPS सिस्टम्स — हर सैटेलाइट को अलग कोड
  • सेटेलाइट कम्युनिकेशन
  • सेक्योर वायरलेस नेटवर्किंग

CDM के लाभ

  • एक ही चैनल पर कई यूज़र्स का संचार संभव
  • अधिक सिक्योरिटी — कोड बिना जाने डेटा नहीं निकाला जा सकता
  • बहुत कम इंटरफेरेंस
  • नेटवर्क क्षमता में वृद्धि
  • स्पेक्ट्रम का अधिकतम उपयोग

CDM की सीमाएं

रिसीवर्स को अधिक प्रोसेसिंग पावर चाहिए

सिस्टम अधिक जटिल होता है

सही कोड सिंक्रनाइज़ेशन की आवश्यकता

स्प्रेडिंग कोड्स का careful डिज़ाइन जरूरी

  • प्रत्येक डेटा सिग्नल को एक यूनिक कोड दिया जाता है।
  • सभी सिग्नल एक ही Frequency Bands पर एक साथ भेजे जा सकते हैं।
  • यह तकनीक मोबाइल नेटवर्क (3G, 4G) में उपयोग होती है।

4. Space Division Multiplexing (SDM)

Space Division Multiplexing (SDM) एक ऐसी तकनीक है जिसमें ट्रांसमिशन के लिए उपलब्ध भौगोलिक या भौतिक स्थान (space) का विभाजन किया जाता है। इसमें अलग-अलग डेटा स्ट्रीम्स को अलग-अलग स्थानिक पथों (spatial paths) या चैनलों पर एक साथ ट्रांसफर किया जाता है।

यह मल्टीप्लेक्सिंग मुख्यतः फाइबर ऑप्टिक कम्युनिकेशन, रेडियो सिस्टम, और मल्टी-इनपुट मल्टी-आउटपुट (MIMO) तकनीक में प्रयुक्त होती है। इसका उद्देश्य एक ही समय में एक से अधिक डेटा चैनल को एक ही माध्यम के माध्यम से ट्रांसमिट करना है लेकिन अलग-अलग स्थानिक मार्गों से।

यह कैसे काम करता है?

Space Division Multiplexing में, डेटा को अलग-अलग स्थानों से भेजा जाता है। इसका मतलब है कि अलग-अलग वायर, कोर, या एंटेना प्रत्येक सिग्नल के लिए समर्पित होते हैं।

उदाहरण:

  • एक optical Fibre में अनेक core fiber होते हैं।
  • वायरलेस नेटवर्क में MIMO एंटेना तकनीक का उपयोग होता है।

प्रत्येक चैनल spatial रूप से अलग होता है, इसलिए सिग्नल एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते।

SDM के प्रकार

  1. मल्टी-कोर फाइबर (Multi-Core Fiber)
    एक फाइबर में कई कोर होते हैं, हर कोर में एक अलग डेटा स्ट्रीम जाती है।
  2. मल्टी-मोड फाइबर (Multi-Mode Fiber)
    एक ही फाइबर में कई मोड्स के ज़रिए डेटा भेजा जाता है।
  3. MIMO (Multiple Input Multiple Output)
    वायरलेस संचार में कई एंटेना होते हैं जो डेटा को अलग दिशाओं में भेजते हैं।

SDM के उदाहरण

  • 5G नेटवर्क में MIMO एंटेना।
  • Multi-core optical fiber केबल।
  • सैटेलाइट सिस्टम में directional एंटेना।
  • हाई-स्पीड डाटा ट्रांसफर के लिए डाटा सेंटर में उपयोग।
  • मिलिट्री संचार में सुरक्षित ट्रांसमिशन।

SDM के फायदे

  • बैंडविड्थ की अधिक क्षमता।
  • कम हस्तक्षेप (interference)।
  • तेज़ और कुशल डेटा ट्रांसफर।
  • अन्य तकनीकों जैसे WDM, FDM के साथ Combination capability।
  • सुरक्षित और विश्वसनीय नेटवर्क संचार।

SDM की सीमाएँ

  • इंस्टॉलेशन और डिजाइन जटिल होता है।
  • उच्च लागत (multi-core fibers और विशेष उपकरण)।
  • क्रॉस-टॉक की संभावना।
  • सीमित दूरी के बाद सिग्नल क्वालिटी में गिरावट।

Advantages of Multiplexing

नेटवर्क संसाधनों का कुशल उपयोग

  • बैंडविड्थ की बचत।
  • लागत में कमी।
  • डेटा ट्रांसफर की स्पीड में सुधार।
  • सिस्टम की कार्यक्षमता में वृद्धि।

Disadvantages of Multiplexing

  • सिस्टम की जटिलता बढ़ जाती है।
  • सिंक्रोनाइजेशन की जरूरत होती है।
  • यदि कोई समस्या आती है तो पूरे सिग्नल पर असर पड़ सकता है।
  • अधिक पावर की जरूरत होती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

प्रश्न 1: मल्टीप्लेक्सिंग का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: मल्टीप्लेक्सिंग का मुख्य उद्देश्य एक ही संचार माध्यम से एक साथ कई डेटा सिग्नल भेजना होता है।

प्रश्न 2: मल्टीप्लेक्सर और डिमल्टीप्लेक्सर में क्या अंतर है?
उत्तर: मल्टीप्लेक्सर कई इनपुट को एक आउटपुट में जोड़ता है, जबकि डिमल्टीप्लेक्सर उस आउटपुट को फिर से अलग-अलग इनपुट्स में विभाजित करता है।

प्रश्न 3: मल्टीप्लेक्सिंग कौन-कौन से क्षेत्र में उपयोग होता है?
उत्तर: यह टेलीफोन नेटवर्क, मोबाइल कम्युनिकेशन, रेडियो, टीवी, और इंटरनेट में उपयोग होता है।

प्रश्न 4: क्या मल्टीप्लेक्सिंग केवल नेटवर्किंग में उपयोग होती है?
उत्तर: नहीं, इसका उपयोग किसी भी संचार प्रणाली में किया जा सकता है जहाँ एक ही चैनल पर अनेक सिग्नल भेजने होते हैं।

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