पादप कोशिका – Padap Koshika in Hindi
पादप कोशिका
पादप कोशिका पेड़-पौधों पेड़ो में पाई जाने कोशिका है जिसे अंग्रेजी में plant cell भी कहते है, और यह यूकेरियोटिक कोशिका है।
पादप कोशिकाओं में विशेष अंगक पाए जाते हैं, जैसे कोशिका भित्ति, हरितलवकाय (क्लोरोप्लास्ट), केन्द्रीय रिक्तिका (वैक्यूअोल) आदि, जो पशु कोशिकाओं में नहीं होते।
केन्द्रक में डीएनए स्थित होता है जो कोशिका की वृद्धि और प्रजनन की जानकारी रखता है। सामान्यतः पादप कोशिकाएँ 10-100 माइक्रोमीटर आकार की होती हैं। वे प्रकाश संश्लेषण के द्वारा ऑक्सीजन एवं ग्लूकोज उत्पन्न करके वातावरण एवं अन्य जीवों को ऊर्जा प्रदान करती हैं।
पादप कोशिका की संरचना

चित्र में एक पादप कोशिका दिखायी गई है। इस चित्र में कोशिका की बाहरी परत कोशिका भित्ति दिख रही है, जो क्षारीय रस्सायनिक संरचना (सेल्यूलोज) से बनी होती है।
कोशिका भित्ति पौधे को दृढ़ता और संरक्षण प्रदान करती है। कोशिका भित्ति के भीतर कोशिका झिल्ली होती है जो सेल्यूलोज के साथ क्रॉस-लिंक होकर लिपिड-बिलयर्स से बनी रहती है और आंतरिक पदार्थों को बाहर से अलग करती है।
- कोशिका भित्ति: यह बाहरी स्तरीय क्रियास्थिर (rigid) परत है जिसमें सेल्यूलोज, हेमिसेल्यूलोज़ और पेक्टिन रहते हैं। कोशिका भित्ति कोशिका को यांत्रिक सहायता देती है, जिससे पौधा सीधा खड़ा रह पाता है। कोशिका भित्ति में प्लाज़्मोडेस्माटा नामक सन्देशवाहक छिद्र होते हैं, जिनसे विभिन्न कोशिकाओं में जल एवं अणु सीधे गुज़रते हैं।
- कोशिका झिल्ली: कोशिका भित्ति के ठीक भीतर पाई जाने वाली अर्ध-पारगम्य झिल्ली है। यह लिपिड-बिलयर से बनी रहती है और सूक्ष्मद्रव्य (आवश्यक अणु) के आने-जाने को नियंत्रित करती है।
- नाभिक (केन्द्रक): कोशिका के केन्द्र में स्थित एक झिल्लीबद्ध अङ्गक है जिसमें डीएनए स्टोर रहता है। नाभिक कोशिका के आनुवंशिक निर्देश संचय करता है तथा प्रोटीन संश्लेषण का प्रारूप बनाता है। यह कोशिका को विभाजित होने और उगने में सहायता करता है।
- राइबोसोम और अन्य सूक्ष्मअङ्गक: कोशिका में राइबोसोम तथा एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गोल्ज़ी जाल, माइटोकॉन्ड्रिया आदि रहते हैं। राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के केन्द्र हैं, जबकि माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा उत्पादन करते हैं।
- साइटोप्लाज्म: कोशिका में सभी अङ्गक और जलीय द्रव्य को साइटोप्लाज्म कहा जाता है। इसमें 70–80% पानी, प्रोटीन, ग्लूकोज़, आयनिक लवण आदि घुले होते हैं। साइटोप्लाज्म में ही कोशिका के अधिकांश जैव-रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं।
- हरितलवकाय (क्लोरोप्लास्ट): विशेष प्रकार का प्लास्टिड है जिसमें प्रकाश-संश्लेषण के लिए आवश्यक क्लोरोफिल स्थित होता है। क्लोरोप्लास्ट में दोहरी झिल्ली होती है और भीतर थाइलाकोइड झिल्ली के स्तरे (ग्राना) होते हैं। ये प्रकाश-शोषित ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा (ग्लूकोज) में बदलते हैं। प्रकाश-संश्लेषण में जल और कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन और ग्लूकोज बनता है, जिससे पौधे अपने भोजन के साथ वातावरण में ऑक्सीजन भी छोड़ते हैं।

- केन्द्रीय रिक्तिका (वैक्यूअोल): पादप कोशिका का एक बड़ा द्रव-युक्त थैला होता है। इसमें जल, आयनिक लवण, और विविध विघटित पदार्थ (जैसे एन्झाइम) भरते हैं। रिक्तिका सेल को आतंरिक दबाव (टर्गर प्रेशर) प्रदान करती है, जिससे पौधे तने सीधापन बनाए रखते हैं। जल की कमी की स्थिति में रिक्तिका सिकुड़ सकती है, जिससे पौधा मुड़ जाता है, फिर भी कोशिका भित्ति की मजबूती बनी रहती है।
इन प्रमुख अंगकों के अलावा पादप कोशिका में अन्य प्लास्टिड (जैसे चमक युक्त प्लास्टिड्स) और सूक्ष्मदाबकीय (वैक्यूअल) संरचनाएँ भी होती हैं। कुल मिलाकर, उपर्युक्त संरचनाएँ पादप कोशिका को विशेष बनाती हैं।
पादप कोशिका के कार्य
पादप कोशिका के प्रत्येक अंगक का एक विशिष्ट कार्य है जो पौधे की वृद्धि और जीवनयापन को सुनिश्चित करता है। कुछ मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- प्रकाश-संश्लेषण: क्लोरोप्लास्ट में सूर्य की ऊर्जा के उपयोग से ग्लूकोज (शर्करा) और ऑक्सीजन का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को ऊर्जा देती है, क्योंकि हर्बीवोर पौधे खाने से और कैरनिवोर हर्बीवोर से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
- ऊर्जा उत्पादन: माइटोकॉन्ड्रिया द्वारा ग्लूकोज का ऑक्सीकरण करके एटीपी ऊर्जा तैयार होती है, जो कोशिका के अन्य कार्यों को चलाती है।
- जल और पोषक तत्व संचयन: केन्द्रीय रिक्तिका में जल और भंडारित अणु संगृहीत होते हैं, जो कोशिका को टर्गर दबाव देते हैं और यंत्रवत् विलेयता (टैक्टाइलिटी) बनाए रखते हैं। यह कोशिका भित्ति का दबाव बनाये रखकर पौधों को पतझड़ या मुरझाने से बचाता है।
- संरचनात्मक समर्थन: कोशिका भित्ति पौधे को यांत्रिक मजबूती देती है, जिससे वृक्ष स्थिर खड़ा रहता है। कोशिका भित्ति तथा रिक्तिका मिलकर कोशिका को टनिक अवस्था में रखते हैं।
- परिवहन एवं संचार: प्लाज़्मोडेस्माटा के माध्यम से कोशिकाओं के बीच पानी, आयन और संदेशवाहक अणु जा सकते हैं। यह कोशिका-से-कोशिका सूचना और पोषक तत्वों का आदान-प्रदान संभव बनाता है।
- अन्य कार्य: राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण करते हैं और गॉल्जी जाल पदार्थों को संशोधित एवं पैक करता है। कोशिका विभाजन के दौरान मेरिस्टेम कोशिकाएँ नया ऊतक बनाती हैं। इन समस्त कार्यों से मिलकर पादप कोशिका जीवित रहती है एवं पौधे का संपूर्ण विकास होता है।
पादप कोशिका के प्रकार
पादप ऊतकों में पाए जाने वाले विभिन्न कार्यों के आधार पर कोशिकाओं को कई प्रकारों में बाँटा जाता है। मुख्य दो श्रेणियाँ हैं:
- मेरिस्टेम कोशिकाएँ: ये विभाजित होने में सक्षम ताज़ा कोशिकाएँ होती हैं। ये पौधे के विकिरण (गड्ढा) क्षेत्र (Apical Meristem), पार्श्व (लैटरल Meristem) एवं इंटरकैलरी Meristem इत्यादि में पाए जाते हैं। ये कोशिकाएँ विभाजन करके नया ऊतक बनाती हैं और पौधे की लम्बाई तथा चौड़ाई में वृद्धि करती हैं।
- स्थायी (परिपक्व) कोशिकाएँ: मेरिस्टेम कोशिकाएँ विभाजन बंद करके स्थायी स्वरूप की हो जाती हैं। इनके प्रमुख प्रकार हैं:
- पारॅन्काइमा कोशिकाएँ: पतली कोशिका भित्ति वाली सक्रिय कोशिकाएँ, जो पर्ण पत्रों में फोटोसिंथेसिस करती हैं और जड़ों व स्टेम में भोजन (स्टार्च, प्रोटीन) भंडार करती हैं। कुछ पर्ण-पारॅन्काइमा कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट भी होते हैं।
- कोलेनचाइमा कोशिकाएँ: ये जीवंत कोशिकाएँ मोटी तंतु कोने वाली दीवारों वाली होती हैं, जो युवा पौधों को लचीला समर्थन देती हैं। मुख्यतः स्टेम और पत्ते के तंतुओं में पाई जाती हैं।
- स्क्लेरेनचाइमा कोशिकाएँ: ये कठोर और लिग्निनयुक्त भित्ति वाली कोशिकाएँ होती हैं, जो पौधे को स्थायी सुदृढ़ता प्रदान करती हैं। उदाहरणस्वरूप रेशम, लकड़ी के धागे आदि।
- संवाहिनी तंत्र कोशिकाएँ: जल एवं पोषक तत्वों के मार्गदर्शक ऊतक, जैसे कशेरुका (वेसल ट्रेकाइड्स) और लवणवाहिनी (सिव ट्यूब) कोशिकाएँ, विशिष्ट प्रकार की परिपक्व कोशिकाएँ हैं। कशेरुकाएँ पानी चढ़ाती हैं और लवणवाहिनी कार्बोहाइड्रेट तथा हार्मोन आदि को पौधे के ऊतकों तक पहुंचाती हैं।
उपरोक्त कोशिका प्रकार मिलकर पौधे के तंतुओं, ऑर्गानों और संपूर्ण पौधे को बनाते हैं।
जैविक महत्त्व
पादप कोशिकाएँ पृथ्वी पर जीवन के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। इनका मुख्य यौगिक कार्य प्रकाश-संश्लेषण है, जिसके द्वारा ऊर्जा युक्त कार्बनिक अणु तथा ऑक्सीजन बनता है। इससे न केवल स्वयं पौधे को भोजन मिलता है बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र को ऊर्जा श्रृंखला उपलब्ध होती है। अन्य प्रमुख महत्त्व हैं:
- ऑक्सीजन और ऊर्जा उत्पादन: पादप कोशिकाओं द्वारा सूर्य की ऊर्जा को रसायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करने से वातावरण में ऑक्सीजन और ग्लूकोज का स्राव होता है। अधिकांश जलीय और स्थलीय जीव इसी ऑक्सीजन पर निर्भर करते हैं।
- खाद्य श्रृंखला का आधार: पौधे उत्पादकों की भूमिका में होते हैं। पादप कोशिकाओं में संग्रहित कार्बनिक यौगिक, पशु तथा मनुष्यों के भोजन के रूप में होते हैं। इनकी जैविक गहराई के बिना एक भी भोजन शृंखला संभव नहीं है।
- पर्यावरणीय संतुलन: पादप कोशिका कार्बन-डाइऑक्साइड को अवशोषित करके तथा ऑक्सीजन उत्सर्जित करके वायुमंडल में गैसों का संतुलन बनाए रखते हैं। वृक्षों से विकसित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं और भूजल को स्थिर करते हैं।
- आर्थिक एवं औषधीय स्रोत: वनस्पतियाँ मानव जीवन की कई आवश्यकताओं को पूरा करती हैं—फल, सब्जियाँ, दवाएँ, निर्माण सामग्री, तथा जैव ईंधन। इनका मूल आधार भी पादप कोशिकाओं के भीतर निर्मित कार्बनिक पदार्थ ही है।
पादप कोशिकाएँ अपने इन गुणों से पारिस्थितिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से अनिवार्य हैं। पौधों के प्रति हमारी समझ में वृद्धि से हमें पर्यावरण की रक्षा और खेती में सुधार के नए अवसर मिलते हैं।