Switch in Hindi | switch क्या होता है?

Switch in Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क की चर्चा करते समय कुछ प्रमुख डिवाइसेज़ ज़रूर सामने आती हैं — जैसे कि राउटर, हब और स्विच। इनमें से ‘स्विच’ एक अत्यंत महत्वपूर्ण यंत्र है, जिसकी भूमिका नेटवर्किंग में विशेष रूप से अहम होती है।”

एक ऐसा डिवाइस है जो नेटवर्क के बीच डाटा को सही रास्ते से भेजने का काम करता है। एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस जो कंप्यूटर नेटवर्क में एक से ज्यादा डिवाइसों (जैसे कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर) को आपस में जोड़ता है और डाटा को सही जगह पर पहुंचाता है।

Switch in Hindi

“एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस जो कई कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर आदि को एक लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) में जोड़ता है और डाटा को सही डिवाइस तक भेजता है।” Network Switch एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस है जो कई कंप्यूटर, प्रिंटर, सर्वर आदि को एक लोकल नेटवर्क (LAN – Local Area Network) में जोड़ता है।

यह डिवाइस डेटा पैकेट को केवल उसी सिस्टम तक पहुंचाता है, जिसका MAC एड्रेस उस पैकेट में पहले से मौजूद होता है।”

switch एक तरह का ट्रैफिक पुलिस है जो यह तय करता है कि कौन-सी जानकारी किस डिवाइस तक जाएगी, ताकि नेटवर्क में कोई भी टकराव (collision) ना हो।

switch एक नेटवर्किंग डिवाइस है जो लोकल एरिया नेटवर्क (LAN) के अंदर कई डिवाइसेज़ जैसे कि कंप्यूटर, प्रिंटर और सर्वर को आपस में जोड़ता है। यह डाटा को डिवाइस के MAC Address (मीडिया एक्सेस कंट्रोल एड्रेस) के आधार पर पहचान कर, सही डिवाइस तक भेजता है।

switch यह आसानी से पहचान लेता है कि कौन-सी डिवाइस किस पोर्ट से जुड़ी हुई है, और उसी के अनुसार डेटा को आगे प्राइवेटली फॉरवर्ड करता है। यानी, डाटा सिर्फ उसी डिवाइस को जाता है जिसके लिए वह भेजा गया है – किसी अन्य को नहीं।

Switch क्या करता है?

switch का मुख्य काम होता है:

“नेटवर्क के अंदर डाटा पैकेट्स को एक डिवाइस से दूसरी डिवाइस तक तेजी और सटीकता से पहुंचाना।”
“स्विच एक समझदार डिवाइस है, जो तय करता है कि कौन-सी जानकारी किस सिस्टम तक जानी चाहिए और उसे सीधा वहीं भेजता है।”
उदाहरण:

मान लीजिए आपके ऑफिस में 5 कंप्यूटर हैं और सभी एक नेटवर्क से जुड़े हैं। जब कंप्यूटर A, कंप्यूटर B को एक फाइल भेजता है, तो switch उस डाटा को सिर्फ कंप्यूटर B तक ही पहुंचाता है, बाकी कंप्यूटर तक नहीं।

अगर आपके ऑफिस में 10 कंप्यूटर हैं और वे सब एक-दूसरे से कनेक्ट होकर डाटा शेयर करते हैं, तो बीच में जो डिवाइस उन्हें कनेक्ट करता है वह Switch होता है।

Switch कैसे काम करता है? (How Switch Works in Hindi)

1. MAC Address का इस्तेमाल करता है:
switch हर डिवाइस के MAC Address को याद रखता है और डाटा को उसी पते पर भेजता है।

2. फुल डुप्लेक्स कम्युनिकेशन:
इसका मतलब डाटा एक साथ भेजना और प्राप्त करना, जिससे नेटवर्क तेज़ चलता है।

3. Collision से बचाव:
Switch डाटा को तय पते पर भेजता है, जिससे नेटवर्क में टकराव (collision) नहीं होता।

प्रत्येक डिवाइस का एक विशिष्ट MAC एड्रेस होता है, ठीक जैसे हर व्यक्ति का एक नाम होता है। स्विच इन एड्रेस को पढ़कर डेटा को उसी डिवाइस तक भेजता है, जिसके लिए वह तय किया गया होता है।” इससे नेटवर्क ट्रैफिक कम होता है और स्पीड ज़्यादा मिलती है

स्विच के प्रकार: नेटवर्किंग में उपयोग होने वाले विभिन्न स्विच
1. Unmanaged Switch

बेसिक type का switch होता है।

छोटे नेटवर्क (जैसे घर या छोटे ऑफिस) में प्रयोग होता है।

इसमें कोई कॉन्फ़िगरेशन की जरूरत नहीं होती।

2. Managed Switch

Advance फीचर्स से less।

बड़े नेटवर्क (जैसे स्कूल, कॉलेज, ऑफिस) में प्रयोग होता है।

मॉनिटरिंग, कंट्रोल और सिक्योरिटी के लिए बेस्ट होता है।

3. Layer 2 और Layer 3 Switch
Layer 2 Switch:
यह स्विच केवल MAC एड्रेस के आधार पर डेटा फॉरवर्ड करता है। यानी, यह नेटवर्क के भीतर डिवाइसेज़ की पहचान उनके हार्डवेयर एड्रेस से करता है और उसी अनुसार डाटा भेजता है।

Layer 3 Switch:
यह स्विच IP एड्रेस को भी समझता है और उसी आधार पर डाटा को रूट करता है। इसकी कार्यप्रणाली कुछ हद तक राउटर जैसी होती है, जिससे यह बड़े नेटवर्क को भी मैनेज कर सकता है।

Switch कहां इस्तेमाल होता है?

  • स्कूल और कॉलेज की कंप्यूटर लैब्स में।
  • ऑफिस नेटवर्क में।
  • इंटरनेट कैफे में।
  • CCTV कैमरा नेटवर्क में।
  • बड़े डाटा सर्वर नेटवर्क में।

switch के फायदे – Benefits of Switch in Hindi

  • तेज नेटवर्क स्पीड।
  • डाटा ट्रैफिक को कंट्रोल करता है।
  • Collision कम करता है।
  • मल्टीपल डिवाइस सपोर्ट।
  • सिक्योर और स्टेबल नेटवर्क।

Switch के फायदे (Advantages of Switch)

1. Performance बेहतर करता है:
switch सिर्फ उसी डिवाइस को डेटा भेजता है जिसके लिए वह है, जिससे नेटवर्क की स्पीड और परफॉर्मेंस में सुधार होता है।

2. Full Duplex Mode का उपयोग:
यह एक साथ डेटा भेजने और प्राप्त करने (send & receive) की सुविधा देता है।

3. नेटवर्क को आसानी से बढ़ाया जा सकता है:
अगर हमें ज्यादा डिवाइसेज़ जोड़नी हों, तो switch के जरिए नेटवर्क को आसान तरीके से एक्सपैंड कर सकते हैं।

4. फॉल्ट टॉलरेंस:
यदि नेटवर्क का कोई एक नोड फेल हो जाए, तो पूरा नेटवर्क प्रभावित नहीं होता।

नेटवर्क switch की मुख्य विशेषताएँ (Key Features of Switch) OSI मॉडल की लेयर 2, जिसे Data Link Layer कहते हैं, वहीं पर स्विच अपना काम करता है — डिवाइसेज़ के बीच डेटा का सही रास्ता तय करने में।” Error Checking करता है डाटा भेजने से पहले।

केवल उसी डिवाइस को डाटा भेजता है जिसके लिए वह है।

यह Full Duplex Mode में काम करता है – मतलब एक साथ डाटा भेज और प्राप्त कर सकता है। “स्विच नेटवर्क में Unicast (एक डिवाइस से दूसरी तक), Multicast (चुनिंदा डिवाइसेज़ तक), और Broadcast (सभी डिवाइसेज़ तक) – इन तीनों तरह की डेटा ट्रांसमिशन को सपोर्ट करता है। Packet Switching Technique का इस्तेमाल करता है।

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