TCP IP in Hindi – टी सी पी / ईपी क्या है?
TCP IP in Hindi
TCP/IP (Transmission Control Protocol/Internet Protocol) एक नियमों का समूह है जो network पर data transfer को नियंत्रित करता है।
दुसरे शब्दों में, TCP/IP एक communication protocol का set है जो internet और networks में data transfer को manage करता है।
यह सुनिश्चित करता है कि Data सही ढंग से और क्रमबद्ध तरीके से एक कंप्यूटर से दूसरे तक पहुँचे।
Computer को भी एक-दूसरे से data (जानकारी) share करने के लिए communication करना पड़ता है।इसके लिए एक खास medium (माध्यम) या तरीके की जरूरत होती है। यह medium (माध्यम) data को तेजी और आसानी से एक computer से दूसरे तक भेजता है।
History
TCP/IP Model की शुरुआत 1970 के दशक में हुई थी। इसे अमेरिकी रक्षा विभाग (Department of Defense DoD) ने ARPANET project के लिए विकसित किया था।
ARPANET (Advanced Research Projects Agency Network) अमेरिकी सरकार का एक प्रोजेक्ट था जिसने पहला Network बनाया।
TCP/IP Protocol क्यों जरूरी है?
- यह Internet को चलाने का सबसे जरूरी हिस्सा है।
- छोटे network (जैसे office) से लेकर बड़े network (जैसे Internet) तक काम करता है।
- इसके बिना computer एकदूसरे से connect नहीं हो सकते और data share नहीं कर सकते।
- TCP/IP के बिना Internet काम नहीं कर सकता।
- यह प्रत्येक device (computer, phone, tablet), operating system (Windows, Mac, Android), और country में काम करता है।
- Email भेजना, social media पर chatting, Netflix देखना, या files download/upload करना, सब TCP/IP की वजह से possible है।
TCP/IP का कार्य
- यह data को एक computer से दूसरे computer तक सही और safe तरीके से भेजता है।
- यह check करता है कि data खो न जाए और सही order में पहुंचे।
- Data को छोटेछोटे पैकेट्स में बाँटता है। हर पैकेट को अलग रास्ते से भेजता है।
- पैकेट्स को सही क्रम में जोड़ना।
- गलतियाँ चेक करना और सही Device तक पहुँचाना।
TCP/IP Model, जिसे Internet Protocol Suite के रूप में भी जाना जाता है, यह एक communication protocols का group है जो इंटरनेट और अन्य networks पर data communication को enable करता है। इसकी चार layers हैं।

ये layers मिलकर data को source से destination तक पहुंचाने में help करती हैं।
TCP/IP Model में चार layers होती हैं। हर layer का अलग-अलग कार्य है:
- Application Layer
- Transport Layer
- Internet Layer
- Network Access Layer
1. Application Layer
एप्लिकेशन लेयर TCP/IP Model की सबसे ऊपरी लेयर है। यह लेयर users के एप्लिकेशन्स और Network सेवाओं के बीच एक इंटरफेस प्रदान करती है।
यह वह लेयर है जहां उपयोगकर्ता सीधे Network के साथ इंटरैक्ट करते हैं, जैसे कि वेब ब्राउज़िंग, ईमेल भेजना, या फाइल ट्रांसफर करना।
दुसरे शब्दों में, एप्लिकेशन लेयर ये वो हिस्सा है जहां आप Network को इस्तेमाल करते हैं। जैसे कि जब आप इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं, ईमेल भेजते हैं या कोई फाइल डाउनलोड करते हैं, तो ये सब एप्लिकेशन लेयर में होता है।
Example: जब आप Google पर कुछ search करते हैं, तो HTTP कार्य करता है।
2. Transport Layer
यह layer दूसरा layer है इस लेयर मे data कों छोटे छोटे पैकेट मे बाटता है छोटे छोटे पैकेट मे बांट कर उस पर numbering कर देता है तांकी data आसानी से भेजा जा सके क्रमानुसार पहुंच जाये। इसके बाद पैकेट कों ट्रांसपोर्ट लेयर के पास भेज दिया जात है ।
यह लेयर Data को एक Device से दूसरे Device तक भेजने और प्राप्त करने की जिम्मेदारी लेती है। यह सुनिश्चित करती है कि Data सही जगह पहुंचे और सही क्रम में हो।
ट्रांसपोर्ट लेयर Data की विश्वसनीयता, प्रवाह नियंत्रण, और error को संभालती है। यह लेयर एप्लिकेशन लेयर और इंटरनेट लेयर के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है।
Data को छोटे पैकेट्स (TCP सेगमेंट / UDP Dataग्राम) में बाँटना।
3. Internet Layer
यह तीसरा layer है जहा trnasport layer से आये हुए data कों sender व reciver के IP ऐड्रेस कों लगाना add करना होता है।
यह लेयर Data को सही Device तक पहुंचाने का रास्ता तय करती है। इसे Network लेयर भी कहते हैं।
इंटरनेट लेयर Data पैकेट्स को स्रोत से destination तक रूट करने के लिए जिम्मेदार है। यह लेयर Network पर Data के पथ का निर्धारण करती है और पैकेट्स को उनके destination तक पहुंचाने के लिए आवश्यक addressing और routing प्रदान करती है।
data packet को सही device तक पहुंचाने का काम करता है।
IP एड्रेसिंग – Device को एक यूनिक पता (IPv4/IPv6) प्रदान करना।
4. Network Access Layer
यह अंतिम और निचली लेयर है डेटा के यहां पहुंचने के बाद तब उस डेटा को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल यानी कि एनालॉग सिग्नल में बदलती है। उसके बाद वायर्ड या वायरलेस माध्यम से डेटा डेस्टिनेशन तक भेजती है। उसके बाद यह प्रक्रिया ठीक उल्टे क्रम में चलती है।
data को physical network (cable, WiFi) पर भेजने का काम करता है। यह सबसे निचली लेयर है, जो Data को भौतिक रूप से (हवा, तार, या फाइबर ऑप्टिक के जरिए) एक Device से दूसरे तक ले जाती है।
इथरनेट (Ethernet), WiFi, PPP जैसे Protocol इसी लेयर पर काम करते हैं।
कुछ मुख्य protocol
- TCP: data की विश्वसनीय delivery।
- IP: data को सही पते पर भेजना।
- HTTP: websites को access करने के लिए।
- FTP: file transfer के लिए।
- SMTP: email भेजने के लिए।
- DNS: domain name को IP address में बदलने के लिए।
- UDP: तेज data transfer (जैसे gaming, streaming)।
Features of TCP/IP Model
1. Packets Switching: data को packet में भेजा जाता है।
2. IP Addressing: हर device का यूनिक address होता है।
3. Error Checking: TCP गलतियों को पकड़ता और ठीक करता है।
4. Crossplatform: Windows, Linux, Mac सभी के साथ काम करता है।
5. Multiples Protocol: अलगअलग कामों के लिए अलग protocol।
Advantages of TCP/IP Model
1. विश्वसनीय: data सही और क्रम में पहुंचता है।
2. लचीलापन: सभी प्रकार के network और device के साथ काम करता है।
3. वैश्विक मानक: पूरी दुनिया में स्वीकार्य।
4. Scalable: छोटे से बड़े network तक काम करता है।
5. Open Protocol: मुफ्त और सभी के लिए उपलब्ध।
Disadvantages of TCP/IP Model
1. जटिलता: इसे समझना और setup करना मुश्किल हो सकता है।
2. सुरक्षा: पुराने protocol में security कमजोर हो सकती है।
3. धीमा: TCP की जांच प्रक्रिया के कारण कभीकभी गति कम हो सकती है।
4. Resource की जरूरत: ज्यादा data transfer के लिए अधिक resource चाहिए।